Friday, May 04, 2007

वापसी के इंतज़ार मेँ

बस कुछ दिन और, और फिर घर की ओर सफ़र।
कल रात को एक पुराना खयाल लौटा। के इस शहर में मेरी जिंदगी बहुत हसीं है, पर इसका मेरी हकीकी जिंदगी से कोई वासता नहीं।
मैं तरजुमे मेँ जीने से थोड़ा थक सा गया हूँ। और ब्लॉगर की ऊट-पटांग मात्राओं से भी।
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